Friendship अर्थात दोस्ती.....कितना छोटा और प्यारा सा शब्द है पर यह छोटा सा शब्द अपने अन्दर कितनी विशालता और गहराई लिये हुये है इसका पता किसी को नहीं है । जिसने भी इसका पता लगाने की कोशिश की वो इसी में खो कर रह गया ।
हाँ बिल्कुल सच है ये कि सारे नाते रिश्ते और परिवार होने के बावजुद भी एक ऐसा कोई चाहिये , जिससे हम और आप अपने दिल की बात कर सके और उसी कोई का नाम Friend या दोस्त है ।
दोस्ती, एक सलोना और सुहाना अहसास है, जो संसार के हर रिश्ते से अलग है। तमाम मौजूदा रिश्तों के जंजाल में यह मीठा रिश्ता एक ऐसा सत्य है जिसकी व्याख्या होना अभी भी बाकी है। व्याख्या का आकार बड़ा होता है। लेकिन गहराई के मामले में वह अनुभूति की बराबरी नहीं कर सकती। इसीलिए दोस्ती की कोई एक परिभाषा आजतक नहीं बन सकी।
दोस्ती, शुद्ध और पवित्र मन का मिलन होती है। एक बेहद उत्कृष्ट अनुभूति, जिसे पाते ही तनाव और चिंता के सारे तटबंध टूट जाते हैं।। उलझनों की जंजीरें खुल जाती है। दोस्ती एक ऐसा आकाश है जिसमें प्यार का चांद मुस्कुराता है, रिश्तों की गर्माहट का सूर्य जगमगाता है और खुशियों के नटखट सितारे झिलमिलाते हैं। एक बेशकीमती पुस्तक है दोस्ती, जिसमें अंकित हर अक्षर, हीरे, मोती, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज की तरह है, बहुमूल्य और तकदीर बदलने वाले।
एक सुकोमल और गुलाबी रिश्ता है दोस्ती, छुई-मुई की नर्म पत्तियों-सा। अंगुली उठाने पर यह रिश्ता कुम्हला जाता है। इसलिए दोस्त बनाने से पहले अपने अन्तर्मन की चेतना पर विश्वास करना जरूरी है।
सचाई, ईमानदारी, परस्पर समझदारी, अमिट विश्वास, पारदर्शिता, समर्पण, सम्मान जैसे श्रेष्ठ तत्व दोस्ती की पहली जरूरत है। दोस्त वह विश्वसनीय शख्स होता है जिसके समक्ष आप अपने मन की अंतिम परत भी कुरेद कर रख देते हैं। एक सच्चा दोस्त आपके विकसित होने में सहायता करता है। उसका निश्छल प्रेम आपको पोषित करता है। जिसके साथ आप अपनी ऊर्जा व निजता बांटते हैं।
दोस्ती की नवविकसित नन्ही कोंपल को जमाने के प्रदूषण से बचाना जरूरी है। तमाम उम्र इंसान को एक अच्छे दोस्त की तलाश रहती है। इसी तलाश में यह पता चलता है कि दोस्ती का एक रंग नहीं होता। अलग-अलग रंगों से सजी दोस्ती कदम-कदम पर अपना रूप दिखाती है। कई दोस्त दोस्ती की गरिमा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। अकसर अच्छी दोस्ती को शक की दीमक लग जाती है जो अन्तत: उसे खोखला कर के छोड़ती है।
दोस्ती, उस गठरी के समान होती है जिसमें बंधी होती है ढेर सारी बातें, गहरे रिश्ते और खूबसूरत अहसास। इस गठरी को तुरंत खोलना चाहिए। वरना वे बातें, जो तह कर रखी हैं, वे रिश्ते, जो सिलवटों से भर गए हैं, और वे अहसास, जो गुड़-मुड़ हो गए हैं, उसमें ही गल सकते हैं, फट सकते हैं, सड़ सकते हैं। इस गठरी को मिलन सूर्य की गुनगुनी धूप में खोल कर फैलाया जाए। जैसे ही नमी दूर होगी खिल उठेगीं ढेर सारी बातें, रिश्ते और अहसास।
दोस्ती(Friendship) का धागा बहुत ही नाजुक होता है. जरा सा भार पड़ा नहीं कि अच्छे अच्छे बिछुड़ जाते है. बचपन की दोस्ती को ही ले लीजिए. मैंने और आपने कितने दोस्तों से हमेशा साथ रहने की बात की थी लेकिन क्या अब वह सभी दोस्त(Friend) साथ हैं, नहीं ना. कहां गए वह दोस्त क्या किसी भीड़ में खो गए है या हमसे बहुत दूर चले गए. बचपन(Childhood) में दोस्त तो बहुत जल्दी बन जाते थे पर अब दोस्त बनाने थोड़ा मुश्किल हो गया है. और दोस्त बनाने के बाद भी आराम नही मिलता दोस्ती आगे बढ़ाने के लिए भी काफी बेलन बेलने पड़ते है. आइयें कुछेक ट्रिक और टिप्स(Tips) के जरिए दोस्ती के जोड़ में फेविकॉल का दम लगाएं.-
"यूं तो कहने को परिवार, रिश्तेदार साथ हैं, जिन्दगी बिताने को,
फ़िर भी एक दोस्त चाहिये, दिल की कहने- सुनने, बतियाने को !! "
फ़िर भी एक दोस्त चाहिये, दिल की कहने- सुनने, बतियाने को !! "
हाँ बिल्कुल सच है ये कि सारे नाते रिश्ते और परिवार होने के बावजुद भी एक ऐसा कोई चाहिये , जिससे हम और आप अपने दिल की बात कर सके और उसी कोई का नाम Friend या दोस्त है ।
दोस्ती, एक सलोना और सुहाना अहसास है, जो संसार के हर रिश्ते से अलग है। तमाम मौजूदा रिश्तों के जंजाल में यह मीठा रिश्ता एक ऐसा सत्य है जिसकी व्याख्या होना अभी भी बाकी है। व्याख्या का आकार बड़ा होता है। लेकिन गहराई के मामले में वह अनुभूति की बराबरी नहीं कर सकती। इसीलिए दोस्ती की कोई एक परिभाषा आजतक नहीं बन सकी।
दोस्ती, शुद्ध और पवित्र मन का मिलन होती है। एक बेहद उत्कृष्ट अनुभूति, जिसे पाते ही तनाव और चिंता के सारे तटबंध टूट जाते हैं।। उलझनों की जंजीरें खुल जाती है। दोस्ती एक ऐसा आकाश है जिसमें प्यार का चांद मुस्कुराता है, रिश्तों की गर्माहट का सूर्य जगमगाता है और खुशियों के नटखट सितारे झिलमिलाते हैं। एक बेशकीमती पुस्तक है दोस्ती, जिसमें अंकित हर अक्षर, हीरे, मोती, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज की तरह है, बहुमूल्य और तकदीर बदलने वाले।
एक सुकोमल और गुलाबी रिश्ता है दोस्ती, छुई-मुई की नर्म पत्तियों-सा। अंगुली उठाने पर यह रिश्ता कुम्हला जाता है। इसलिए दोस्त बनाने से पहले अपने अन्तर्मन की चेतना पर विश्वास करना जरूरी है।
सचाई, ईमानदारी, परस्पर समझदारी, अमिट विश्वास, पारदर्शिता, समर्पण, सम्मान जैसे श्रेष्ठ तत्व दोस्ती की पहली जरूरत है। दोस्त वह विश्वसनीय शख्स होता है जिसके समक्ष आप अपने मन की अंतिम परत भी कुरेद कर रख देते हैं। एक सच्चा दोस्त आपके विकसित होने में सहायता करता है। उसका निश्छल प्रेम आपको पोषित करता है। जिसके साथ आप अपनी ऊर्जा व निजता बांटते हैं।
दोस्ती की नवविकसित नन्ही कोंपल को जमाने के प्रदूषण से बचाना जरूरी है। तमाम उम्र इंसान को एक अच्छे दोस्त की तलाश रहती है। इसी तलाश में यह पता चलता है कि दोस्ती का एक रंग नहीं होता। अलग-अलग रंगों से सजी दोस्ती कदम-कदम पर अपना रूप दिखाती है। कई दोस्त दोस्ती की गरिमा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। अकसर अच्छी दोस्ती को शक की दीमक लग जाती है जो अन्तत: उसे खोखला कर के छोड़ती है।
दोस्ती, उस गठरी के समान होती है जिसमें बंधी होती है ढेर सारी बातें, गहरे रिश्ते और खूबसूरत अहसास। इस गठरी को तुरंत खोलना चाहिए। वरना वे बातें, जो तह कर रखी हैं, वे रिश्ते, जो सिलवटों से भर गए हैं, और वे अहसास, जो गुड़-मुड़ हो गए हैं, उसमें ही गल सकते हैं, फट सकते हैं, सड़ सकते हैं। इस गठरी को मिलन सूर्य की गुनगुनी धूप में खोल कर फैलाया जाए। जैसे ही नमी दूर होगी खिल उठेगीं ढेर सारी बातें, रिश्ते और अहसास।
दोस्ती(Friendship) का धागा बहुत ही नाजुक होता है. जरा सा भार पड़ा नहीं कि अच्छे अच्छे बिछुड़ जाते है. बचपन की दोस्ती को ही ले लीजिए. मैंने और आपने कितने दोस्तों से हमेशा साथ रहने की बात की थी लेकिन क्या अब वह सभी दोस्त(Friend) साथ हैं, नहीं ना. कहां गए वह दोस्त क्या किसी भीड़ में खो गए है या हमसे बहुत दूर चले गए. बचपन(Childhood) में दोस्त तो बहुत जल्दी बन जाते थे पर अब दोस्त बनाने थोड़ा मुश्किल हो गया है. और दोस्त बनाने के बाद भी आराम नही मिलता दोस्ती आगे बढ़ाने के लिए भी काफी बेलन बेलने पड़ते है. आइयें कुछेक ट्रिक और टिप्स(Tips) के जरिए दोस्ती के जोड़ में फेविकॉल का दम लगाएं.-
- Honesty- दोस्ती में ऑनेस्टी सबसे बड़ा मूल्य है। यदि फ्रैंडशिप (Friendship) में ऑनेस्टी होगी तो यह ज्यादा मजबूत होगी। कई बार देखा गया है कि ऑनेस्टी न होने के कारण ही कॉलेजेस में कई अच्छी दोस्ती टूट जाती हैं और जिंदगी में हमेशा के लिए एक कड़वा स्वाद दे जाती है। कई स्टूडेंट इस अनुभव को जिंदगीभर नहीं भूल पाते हैं। इसलिए अपने दोस्त के प्रति ईमानदार रहें।
- Love and Care- दोस्ती में प्यार-मोहब्बत(Love and Relationshi) न हो तो मजा ही क्या है। लेकिन प्यार-मोहब्बत का मतलब किसी तरह का स्वार्थ नहीं होता। यह किसी मतलब से नहीं की जाती और न ही इसके जरिए कोई मतलब हासिल किया जाता है। इसमें तो एक-दूसरे के प्रति लव एंड केयर(Love and Care) की भावना होती है। एक-दूसरे का ध्यान रखा जाता है, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का ध्यान रखा जाता है।
- Understanding- यदि प्यार-मोहब्बत(Love) हो और अंडरस्टैंडिंग न हो तो भी बात नहीं बनती। कई बार दोस्तों में दरार आ जाती है और दोस्ती टूट जाती है। इसका एक बड़ा कारण होता है अंडरस्टैंडिंग की कमी। यदि दो दोस्तों के बीच बेहतर अंडरस्टैंडिंग होगी तो यह ज्यादा मजबूत होगी। अपने दोस्त को बेहतर ढंग से जानने-समझने की कोशिश करेंगे, तो गलतफहमियाँ पैदा नहीं होंगी।
- Respect- कई बार मौज और मस्ती के मूड में, जोश और जुनून में दोस्त अपने दोस्तों से ऐसी मजाक कर बैठते हैं, जो उन्हें नागवार गुजरता है। उन्हें इंसल्टिंग फील होता है। इसलिए यह ध्यान रखें कि आपका कितना भी अच्छा फ्रैंड हो, आपके कितने भी बेतकल्लुफ रिश्ते हों लेकिन वह आपसे चाहता है कि आप उसका रिस्पेक्ट करें। अक्सर दोस्त यह भूल जाते हैं। दोस्तों का रिस्पेक्ट करें।
" दुनिया में कहीं भी होता हो मगर,
दोस्त का घर दूर कहाँ होता है!
जब भी चाहूँ आवाज लगा लेता हूँ,
वो मेरे दिल मे छुपा होता है!
जाने कैसे वो दर्द मेरा जान लेता है,
दुखों पे मेरे वो भी कहीं रोता है !"
और अंत में
" हर कोई ऐसा एक मित्र पाए,
जो बातें सुनते थके नही,
और मौन को भी जो पढ जाए !!"
दोस्त का घर दूर कहाँ होता है!
जब भी चाहूँ आवाज लगा लेता हूँ,
वो मेरे दिल मे छुपा होता है!
जाने कैसे वो दर्द मेरा जान लेता है,
दुखों पे मेरे वो भी कहीं रोता है !"
और अंत में
" हर कोई ऐसा एक मित्र पाए,
जो बातें सुनते थके नही,
और मौन को भी जो पढ जाए !!"